“कोरोना एवं बैंकिंग”
कोरोना वायरस या Covid-19 संक्रमण ऐसी बीमारी है जिसे वैश्विक संगठन द्वारा महामारी घोषित किया गया है। नवंबर 2019 में यह चीन की लैब से निकला था, धीरे- धीरे यह वायरस इंसान से इंसान में फैलने लगा। देखते ही देखते इस वायरस ने पूरे दुनिया में पैर पसार लिए। अंटार्कटिका जैसे क्षेत्र में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। जनवरी 2020 में यह वायरस भारत में पाया गया। कोरोना वायरस ने अभी तक सभी क्षेत्रों को क्षतिग्रस्त किया है। शिक्षा, स्वस्थ्य, व्यापार, जैसे और भी कई क्षेत्र हैं जिन्हें कोरोना का कहर झेलना पड़ा है। उनमे से एक क्षेत्र बैंकिंग क्षेत्र भी है।
कोरोना वायरस से ठप पड़ी औद्योगिक गतिविधियों का भारतीय कंपनियों और बैंकिंग तंत्र पर गहरा असर पड़ रहा है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार एशिया-प्रशांत क्षेत्र की 20% गैर वित्तीय कंपनियां बंद हो सकती हैं। मूडीज ने भारतीय बैंकों का परिदृश्य घटाकर निगेटिव कर दिया है। कोरोना वायरस के कारण बैंकों की संपत्तियों की गुणवत्ता घट रही है। लिहाजा भारतीय बैंकों के परिदृश्य को स्थिर से घटाकर नकारात्मक किया जा रहा है। आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने से कंपनियों के साथ नागरिकों की माली हालत खराब होगी जिससे बैंकों पर दबाव बढ़ेगा। NPA की स्थिति बिगड़ रही है। कुल मिलाकर जा सकता है कि कोरोना वायरस महामारी से बैंकों पर तथा भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
कोरोना वायरसः संक्रमण के बाद अर्थव्यवस्था को स्वस्थ बनाने में बैंकों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका:
कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अर्थव्यस्था को फिर से मजबूत बनाने में बैंकिंग क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. अभिनव भारत अभियान का क्रियान्वयन बैंकों के हाथ में है.
‘‘प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने में बैंकिंग क्षेत्र की बड़ी भूमिका होगी.’’ कोविड से निपटने की लड़ाई देश में प्रत्येक नागरिक के सहयोग से ही जीती जा सकती है.
भारतीय बैंकों ने अर्थव्यवस्था की मजबूती में योगदान दिया
प्रधानमंत्री की देशव्यापी अपील पर भारतीय बैंकों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) आदि जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था की मजबूती में योगदान दिया है. उन्होंने जन धन योजना के तहत और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को जोड़कर प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत अभियान के कार्यान्वयन में भी योगदान दिया है।
इस कोरोना महामारी से जूझने में पूरा देश लगा हुआ है । देश दुनिया की मीडिया, देश के बड़े नेता और जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोग लगातार ऐसे लोगों की हौसला अफ़ज़ाई कर रहे हैं जो इस समय पूरी तरह से इसकी रोकथाम और उपचार में जुटे हैं. पुलिस (Police), सेना (Army), डॉक्टर्स (Doctors), पैरामेडिकल स्टाफ (Paramedical Staff), सफाई कर्मचारी और दूध, अखबार आदि पहुंचाने वाले लोग सबकी निगाहों में आदर का भाव प्राप्त कर रहे हैं और यह अच्छा भी है और उचित भी है. इतने अभावों में भी ये लोग अपने जान की बाजी लगाकर काम कर रहे हैं तो इनकी तारीफ़ होनी ही चाहिए. लेकिन इसी बीच बैंककर्मी भी विपरीत परिस्थितियों में अपना योगदान देश के आर्थिक जिम्मेदारी निभाने में लगे हैं. जो उतनी ही लगन से अपने कर्तव्य और जनता की सेवा में लगे हुए हैं. जिसका सीधा लाभ देश की जनता को मिल रहा है.
अगर आज की तारीख में किसी को सबसे ज्यादा लोगों के संपर्क में रहना पड़ रहा है तो वह बैंक कर्मी ही हैं. पुलिस वालों के पास जाने की हिम्मत कितने लोग जुटा पाते हैं और डॉक्टर्स तथा पैरा मेडिकल स्टाफ के पास भी सिर्फ वही लोग जाते हैं जो इस लक्षण से पीड़ित हैं (वैसे सबसे ज्यादा खतरा यही लोग उठा रहे हैं, इसमें कोई शक नहीं है). लेकिन आज तकरीबन हर बैंक में रोज तीन सौ से लेकर पांच छह सौ लोग जा रहे हैं. इनमे से ज्यादा संख्या गरीब और अनपढ़ तबके के लोगों की है, क्योंकि उनके खातों में सरकार ने पांच सौ रुपये डाल दिए हैं.
अब इन लोगों को पहले खाते में मौजूद बैलेंस बताना है, फिर उनका विथड्रॉल स्लिप भरवाना है और उसके बाद पेमेंट भी करना है. इसके लिए हर शाखा में कम से कम चार लोग ग्राहकों से सीधे संपर्क में आते हैं. जो भी ग्राहक शाखा में आ रहा है उसके बारे में किसी को पता नहीं है कि वह संक्रमित है या नहीं. लेकिन हर तरह का खतरा उठाते हुए भी बैंककर्मी लगातार अपने कार्य में लगे हुए हैं. हाँ यहाँ यह भी स्पष्ट करना जरुरी है कि बैंककर्मियों का यह कार्य है और उनको भी पुलिस और डॉक्टर्स की तरह अपने कर्तव्य निभाने हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग भी बैंक कर्मियों को ही मेन्टेन करवानी है क्योंकि हर जगह जिला प्रशासन यह चेतावनी भी बैंकों को दे रहा है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं लागू की गई तो बैंक कर्मी ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे. अब न तो इतने पुलिसकर्मी उपलब्ध हैं जो बैंकों के पास हर समय खड़े रहें, तो जाहिर सी बात यह है कि लाइन लगवाने से लेकर डिस्टेंस मेन्टेन करवाने का काम भी बैंक वालों को ही करना पड़ रहा है.
देश की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है और ऐसे में यही बैंक कर्मी तमाम तरह की नयी योजनाओं के द्वारा लोगों के आर्थिक उद्धार का काम करेंगे. अब ऐसे में बैंक कर्मचारीयों का काम काफी प्रशंसनीय है.
"कोरोना से डरे नहीं, S.M.S. से उसका सामना करें!"
अंत में, मैं सभी बैंक कर्मियों को उनके अच्छे स्वास्थ्य के शुभकामनाएँ करता हूँ एवम उनके अच्छे बैंकिंग कार्य के लिए हार्दिक साधुवाद देता हूँ.
सादर धन्यवाद !
भवदीय
व्ही. रेंगन,
मुख्य प्रबंधक,
स्थान : भोपाल
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