नवीनतम तकनीक एवं बैंकिंग
बैंक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। देश में बैंकिंग व्यवस्था की शुरुआत को इतिहासकार लगभग 18वीं शताब्दी से ही मानते हैं| इसके बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों ने आधुनिक बैंकिंग प्रणाली को लाकर भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांति कर दी थी। अंग्रेजों ने सुनियोजित तरीके से धन की उगाही के लिये तीनों प्रेसीडेंसियों मसलन मद्रास, बंबई और बंगाल में बैंकों की स्थापना की।
समय के साथ बैंकों का बदलता स्वरूप
नवीनतम नकतीकों ने बैंकिंग के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। भारत में बैंकिंग क्षेत्र का डिजिटल परिवर्तन टेलीबैंकिंग, ऑनलाइन-बैंकिंग, डिजिटल बैंकिंग आदि के समानार्थी है। इस सदी के शुरुआती दौर में शुरू होने वाले बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटल क्रांति ने बैंकों के साथ ग्राहकों की कमी को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
तकनीक ने आसान की बैंकिंग, बीमा और निवेश की दुनिया
भारतीय अर्थव्यवस्था अनौपचारिक भुगतान के दायरे से निकल कर औपचारिक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें तकनीक से बेहतर भूमिका निभाई है। देश में जब प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरूआत हुई तो उस समय तकनीक ही था कि रिकार्ड 38 करोड़ से भी ज्यादा खाते खोले गए। यही नहीं तकनीक से वित्तीय जगत का हर क्षेत्र बेहतर हो रहा है।
नया भारतः बैंकिंग सेवाएं सभी परिवारों तक पहुंची
आज, बैंकिंग सेवाओं की पहुंच भारत के सभी परिवारों तक है। वर्ष 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना इस बदलाव की महत्वपूर्ण ड्राइवर बनी और इस योजना के तहत रिकार्ड 38.06 करोड़ बैंक खाते खोले गए। यूपीआई और रूपे डेबिट कार्ड जैसी प्रमुख पहलों से इस ट्रेंड को और तेजी दी। इसी तर्ज पर, भारतनेट मिशन दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचा रहा है, जिससे तकनीक से संचालित बीएफएसआई सेवाओं का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है।
आधुनिक बैंकः बटन टच करने पर उपलब्ध
भारत में इंटरनेट यूजर्स के बढ़ते आधार के साथ, बैंकों के रिटेल टचपॉइंट्स पर बहुत ज्यादा लोगों से डील नहीं करना होता। वे अब बड़े पैमाने पर इन ग्राहकों को अपने डिजिटल यानी स्मार्टफोन ऐप्लिकेशन पर प्राप्त करते हैं। यह ग्राहकों को विशेष रूप से इसके लिए समय निकाले बिना हर तरह का लेन-देन का अधिकार देता है। यूपीआई की तकनीकी खासियतों (जिसमें बैंक और नॉन-बैंक प्रोवाइडर्स में इंटरऑपरेबिलिटी शामिल हैं) ने लेन-देन की लागत के साथ इसमें लगने वाला वक्त भी काफी हद तक कम कर दिया है। भारत दूरदराज के क्षेत्रों के बीच एईपीएस (आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली) द्वारा संचालित बायोमेट्रिक लेन-देन में वृद्धि देख रहा है।
ओपन बैंकिंगः नई संस्कृति विकसित हो रही है!
भारत भी अब ओपन बैंकिंग के विचार के प्रति खुल रहा है। आज जब बैंकों के पास एक बड़ा कस्टमर बेस और ऐतिहासिक डेटासेट उपलब्ध है, तकनीकी-संचालित स्टार्टअप और एनबीएफसी ने उनका उपयोग करने के लिए तकनीकी क्षमता विकसित की है। यह ट्रेंड भारत में बेहतर प्रोफाइलिंग, क्रेडिट अंडरराइटिंग और आधुनिक ग्राहकों के सामने आने वाली समस्याओं का सामना करने वाले उत्पादों के विकास के साथ वित्तीय सेवाओं के विस्तार को भी और गति देगा।
निरंतरता के साथ स्वीकार्यता बढ़ रही है
डिजिटल सेवाओं के विस्तार को संचालित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है स्वीकार्यता। उदाहरण के लिए, डिजिटल पेमेंट अपनाने के बाद तेजी आई। कोविड-19 लॉकडाउन में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। कोविड प्रकोप के मद्देनजर एईपीसीएस का उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को अपने घरों में बैठे-बैठे नकदी निकालने में मदद करने के लिए किया है। इस तरह के आयोजनों में एफआई की तकनीकी क्षमताएं बाजार ट्रेंड को आकार देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष
गौरतलब है कि वैश्वीकरण के दौर में बैंकों का स्वरूप लगातार बदल रहा है। पहले जहाँ बैंकों में लंबी-लंबी कतारें लगी रहती थीं, वहीं अब तकनीक ने इस कार्य को सरल और सुगम बना दिया है। तकनीक का प्रयोग करके पेमेंट बैंकों ने इस कार्य को और आसान बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक बैंकिंग विशेषकर कैशलेस अर्थव्यवस्था बैंकिंग लेन-देन के डिजिटलीकरण के दौर में चिंता का विषय जरूर है। परन्तु सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईआईटी जैसे संस्थानों के साथ मिलकर विभिन्न तरीकों से इससे निपटने के प्रयास किये हैं। जन-धन योजना और डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर जैसी योजनाओं के माध्यम से बैंकिंग के जरिये वित्तीय समावेशन पर सरकार बहुत जोर दे रही है, क्योंकि दुर्गम और कठिन क्षेत्र होने के कारण कई क्षेत्रों में अभी भी बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं। सरकार ने बड़ी संख्या में बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट की नियुक्ति कर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया है। ये बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट बैंकों तथा ग्रामीण जनता के बीच कड़ी का काम करते हैं। इसी प्रकार बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिये हाल ही में सरकार ने तीन बैंकों के विलय का फैसला लिया है। कुल मिलाकर ,भारत का आज का बैंकिंग स्वरूप बदलते परिवेश में नए कलेवर अपना रहा है| ऐसे में जरूरत इस बात की है कि यह कलेवर भारतीय जनता के सामाजिक-आर्थिक विकास को और बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाए जिससे देश के लोगों के जीवन में खुशियाँ और समृद्धि आ सके ।
(विजय बांक)
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