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नवीनतम तकनीक एवं बैंकिंग

 नवीनतम तकनीक एवं बैंकिंग

 

बैंक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। देश में बैंकिंग व्यवस्था की शुरुआत को इतिहासकार लगभग 18वीं शताब्दी से ही मानते हैं| इसके बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों ने आधुनिक बैंकिंग प्रणाली को लाकर भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांति कर दी थी। अंग्रेजों ने सुनियोजित तरीके से धन की उगाही के लिये तीनों प्रेसीडेंसियों मसलन मद्रास, बंबई और बंगाल में बैंकों की स्थापना की।  

 

समय के साथ बैंकों का बदलता स्वरूप 

 

नवीनतम नकतीकों ने बैंकिंग के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। भारत में बैंकिंग क्षेत्र का डिजिटल परिवर्तन टेलीबैंकिंग, ऑनलाइन-बैंकिंग, डिजिटल बैंकिंग आदि के समानार्थी है। इस सदी के शुरुआती दौर में शुरू होने वाले बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटल क्रांति ने बैंकों के साथ ग्राहकों की कमी को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है। 

 

  • आज के समय में बैंकिंग व्यवहार और उपभोक्ताओं की जरूरतों में परिवर्तन जरुरी हो गया है। अब परंपरागत बैंकिंग का दौर खत्म हो चुका है और बैंकलेस बैंकिंग अवधारणा मजबूत हुई है। 
  • आज तकनीक ने बैंकों के स्वरूप को एकदम बदल दिया है। इसमें बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, स्मार्टफोन और ऐसे अन्य नवाचार शामिल हैं।

 

  • मोबाइल बैंकिंग के आने से तो ग्राहकों और बैंक के बीच संवाद के तरीके में बहुत बदलाव गया है। मोबाइल बैंकिंग के द्वारा घर से दूर रहकर भी अपने बैंक के खातों की जानकारी ली जा सकती है। किसी भी समय खाते से पैसों को ट्रांसफर करना, बिलों का भुगतान इत्यादि किया जा सकता है। यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध होती है।

 

  • इसी प्रकार एटीएम मशीनों ने बैंकिंग व्यवस्था को बहुत हद तक सरल, सुरक्षित और सुविधाजनक बना दिया है।

 

  • कैशलेस अर्थव्यवस्था ने बैंकिंग स्वरूप में और बड़ा परिवर्तन किया है। इससे एक ओर जहाँ लोगों को लंबी कतारों से मुक्ति के साथ-साथ समय की बचत हुई तो वहीं दूसरी ओर कालेधन को रोकने में बहुत हद तक मदद भी मिली। इसके कारण अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आयी। कैशलेस व्यवस्था आने के कारण रुपया लोगों के पास से तो हटा ही किन्तु उसका स्थान प्लास्टिक मुद्रा ने लिया।

 

  • प्लास्टिक मुद्रा ने लोगों की समस्या के समाधान के साथ-साथ पर्यावरण को तो लाभ पहुँचाया ही इसके साथ ही साथ इससे अर्थव्यवस्था में तेजी भी आयी। कैशलेस अर्थव्यवस्था को पेमेंट्स बैंकों ने भी आगे बढ़ाने में मदद की है।

 

  • लिहाज़ा समाज के हाशिये पर बैठे व्यक्तियों को आर्थिक विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये बैंकों ने समुचित प्रयास किया है। इस प्रयास में माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड बैंक यानि मुद्रा बैंक का गठन भी बहुत महत्त्व रखता हैयह सूक्ष्म इकाइयों के विकास तथा पुनर्वित्तपोषण से संबंधित गतिविधियों के लिये भारत सरकार द्वारा गठित एक नई संस्था है। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूह भी वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया को मजबूत करते हैं जो कि समाज के पिछड़े तबके के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

 

तकनीक ने आसान की बैंकिंग, बीमा और निवेश की दुनिया

 

भारतीय अर्थव्यवस्था अनौपचारिक भुगतान के दायरे से निकल कर औपचारिक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें तकनीक से बेहतर भूमिका निभाई है। देश में जब प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरूआत हुई तो उस समय तकनीक ही था कि रिकार्ड 38 करोड़ से भी ज्यादा खाते खोले गए। यही नहीं तकनीक से वित्तीय जगत का हर क्षेत्र बेहतर हो रहा है। 

नया भारतः बैंकिंग सेवाएं सभी परिवारों तक पहुंची

 

आज, बैंकिंग सेवाओं की पहुंच भारत के सभी परिवारों तक है। वर्ष 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना इस बदलाव की महत्वपूर्ण ड्राइवर बनी और इस योजना के तहत रिकार्ड 38.06 करोड़ बैंक खाते खोले गए। यूपीआई और रूपे डेबिट कार्ड जैसी प्रमुख पहलों से इस ट्रेंड को और तेजी दी। इसी तर्ज पर, भारतनेट मिशन दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचा रहा है, जिससे तकनीक से संचालित बीएफएसआई सेवाओं का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है।

 

आधुनिक बैंकः बटन टच करने पर उपलब्ध

 

भारत में इंटरनेट यूजर्स के बढ़ते आधार के साथ, बैंकों के रिटेल टचपॉइंट्स पर बहुत ज्यादा लोगों से डील नहीं करना होता। वे अब बड़े पैमाने पर इन ग्राहकों को अपने डिजिटल यानी स्मार्टफोन ऐप्लिकेशन पर प्राप्त करते हैं। यह ग्राहकों को विशेष रूप से इसके लिए समय निकाले बिना हर तरह का लेन-देन का अधिकार देता है। यूपीआई की तकनीकी खासियतों (जिसमें बैंक और नॉन-बैंक प्रोवाइडर्स में इंटरऑपरेबिलिटी शामिल हैं) ने लेन-देन की लागत के साथ इसमें लगने वाला वक्त भी काफी हद तक कम कर दिया है। भारत दूरदराज के क्षेत्रों के बीच एईपीएस (आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली) द्वारा संचालित बायोमेट्रिक लेन-देन में वृद्धि देख रहा है। 

 

ओपन बैंकिंगः नई संस्कृति विकसित हो रही है!

 

भारत भी अब ओपन बैंकिंग के विचार के प्रति खुल रहा है। आज जब बैंकों के पास एक बड़ा कस्टमर बेस और ऐतिहासिक डेटासेट उपलब्ध है, तकनीकी-संचालित स्टार्टअप और एनबीएफसी ने उनका उपयोग करने के लिए तकनीकी क्षमता विकसित की है। यह ट्रेंड भारत में बेहतर प्रोफाइलिंग, क्रेडिट अंडरराइटिंग और आधुनिक ग्राहकों के सामने आने वाली समस्याओं का सामना करने वाले उत्पादों के विकास के साथ वित्तीय सेवाओं के विस्तार को भी और गति देगा।

 

निरंतरता के साथ स्वीकार्यता बढ़ रही है

 

डिजिटल सेवाओं के विस्तार को संचालित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है स्वीकार्यता। उदाहरण के लिए, डिजिटल पेमेंट अपनाने के बाद तेजी आई। कोविड-19 लॉकडाउन में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। कोविड प्रकोप के मद्देनजर एईपीसीएस का उपयोग  दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को अपने घरों में बैठे-बैठे नकदी निकालने में मदद करने के लिए किया है। इस तरह के आयोजनों में एफआई की तकनीकी क्षमताएं बाजार ट्रेंड को आकार देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

 

निष्कर्ष

 

गौरतलब है कि वैश्वीकरण के दौर में बैंकों का स्वरूप लगातार बदल रहा है। पहले जहाँ बैंकों में लंबी-लंबी कतारें लगी रहती थीं, वहीं अब तकनीक ने इस कार्य को सरल और सुगम बना दिया है। तकनीक का प्रयोग करके पेमेंट बैंकों ने इस कार्य को और आसान बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक बैंकिंग विशेषकर कैशलेस अर्थव्यवस्था बैंकिंग लेन-देन के डिजिटलीकरण के दौर में चिंता का विषय जरूर है। परन्तु सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईआईटी जैसे संस्थानों के साथ मिलकर विभिन्न तरीकों से इससे निपटने के प्रयास किये हैं। जन-धन योजना और डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर जैसी योजनाओं के माध्यम से बैंकिंग के जरिये वित्तीय समावेशन पर सरकार बहुत जोर दे रही है, क्योंकि दुर्गम और कठिन क्षेत्र होने के कारण कई क्षेत्रों में अभी भी बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं। सरकार ने बड़ी संख्या में बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट की नियुक्ति कर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया है। ये बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट बैंकों तथा ग्रामीण जनता के बीच कड़ी का काम करते हैं। इसी प्रकार बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिये हाल ही में सरकार ने तीन बैंकों के विलय का फैसला लिया है।  कुल मिलाकर ,भारत का आज का बैंकिंग स्वरूप बदलते परिवेश में नए कलेवर अपना रहा है| ऐसे में जरूरत इस बात की है कि यह कलेवर भारतीय जनता के सामाजिक-आर्थिक विकास को और बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाए जिससे देश के लोगों के जीवन में खुशियाँ और समृद्धि सके

 

(विजय बांक)


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“कोरोना एवं बैंकिंग”

 कोरोना एवं बैंकिंग

 

कोरोना वायरस या Covid-19 संक्रमण ऐसी बीमारी है जिसे वैश्विक संगठन द्वारा महामारी घोषित किया गया है। नवंबर 2019 में यह चीन की लैब से निकला था, धीरे- धीरे यह वायरस इंसान से इंसान में फैलने लगा। देखते ही देखते इस वायरस ने पूरे दुनिया में पैर पसार लिए। अंटार्कटिका जैसे क्षेत्र में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। जनवरी 2020 में यह वायरस भारत में पाया गया। कोरोना वायरस ने अभी तक सभी क्षेत्रों को क्षतिग्रस्त किया है। शिक्षा, स्वस्थ्य, व्यापार, जैसे और भी कई क्षेत्र हैं जिन्हें कोरोना का कहर झेलना पड़ा है। उनमे से एक क्षेत्र बैंकिंग क्षेत्र भी है। 

 

कोरोना वायरस से ठप पड़ी औद्योगिक गतिविधियों का भारतीय कंपनियों और बैंकिंग तंत्र पर गहरा असर पड़ रहा है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार एशिया-प्रशांत क्षेत्र की 20% गैर वित्तीय कंपनियां बंद हो सकती हैं। मूडीज ने भारतीय बैंकों का परिदृश्य घटाकर निगेटिव कर दिया है। कोरोना वायरस के कारण बैंकों की संपत्तियों की गुणवत्ता घट रही है। लिहाजा भारतीय बैंकों के परिदृश्य को स्थिर से घटाकर नकारात्मक किया जा रहा है। आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने से कंपनियों के साथ नागरिकों की माली हालत खराब होगी जिससे बैंकों पर दबाव बढ़ेगा। NPA की स्थिति बिगड़ रही है। कुल मिलाकर जा सकता है कि कोरोना वायरस महामारी से बैंकों पर तथा भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

 

कोरोना वायरसः संक्रमण के बाद अर्थव्यवस्था को स्वस्थ बनाने में बैंकों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका

 

कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अर्थव्यस्था को फिर से मजबूत बनाने में बैंकिंग क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. अभिनव भारत अभियान का क्रियान्वयन बैंकों के हाथ में है.

 

‘‘प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने में बैंकिंग क्षेत्र की बड़ी भूमिका होगी.’’ कोविड से निपटने की लड़ाई देश में प्रत्येक नागरिक के सहयोग से ही जीती जा सकती है.

 

भारतीय बैंकों ने अर्थव्यवस्था की मजबूती में योगदान दिया

 

 प्रधानमंत्री की देशव्यापी अपील पर भारतीय बैंकों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) आदि जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था की मजबूती में योगदान दिया है. उन्होंने जन धन योजना के तहत और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को जोड़कर प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत अभियान के कार्यान्वयन में भी योगदान दिया है। 

 

इस कोरोना महामारी से जूझने में पूरा देश लगा हुआ है देश दुनिया की मीडिया, देश के बड़े नेता और जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोग लगातार ऐसे लोगों की हौसला अफ़ज़ाई कर रहे हैं जो इस समय पूरी तरह से इसकी रोकथाम और उपचार में जुटे हैं. पुलिस (Police), सेना (Army), डॉक्टर्स (Doctors), पैरामेडिकल स्टाफ (Paramedical Staff), सफाई कर्मचारी और दूध, अखबार आदि पहुंचाने वाले लोग सबकी निगाहों में आदर का भाव प्राप्त कर रहे हैं और यह अच्छा भी है और उचित भी है. इतने अभावों में भी ये लोग अपने जान की बाजी लगाकर काम कर रहे हैं तो इनकी तारीफ़ होनी ही चाहिए. लेकिन इसी बीच बैंककर्मी भी विपरीत परिस्थितियों में अपना योगदान देश के आर्थिक जिम्मेदारी निभाने में लगे हैं. जो उतनी ही लगन से अपने कर्तव्य और जनता की सेवा में लगे हुए हैं जिसका सीधा लाभ देश की जनता को मिल रहा है.

 

अगर आज की तारीख में किसी को सबसे ज्यादा लोगों के संपर्क में रहना पड़ रहा है तो वह बैंक कर्मी ही हैं. पुलिस वालों के पास जाने की हिम्मत कितने लोग जुटा पाते हैं   और डॉक्टर्स तथा पैरा मेडिकल स्टाफ के पास भी सिर्फ वही लोग जाते हैं जो इस लक्षण से पीड़ित हैं (वैसे सबसे ज्यादा खतरा यही लोग उठा रहे हैं, इसमें कोई शक नहीं है). लेकिन आज तकरीबन हर बैंक में रोज तीन सौ से लेकर पांच छह सौ लोग जा रहे हैं. इनमे से ज्यादा संख्या गरीब और अनपढ़ तबके के लोगों की है, क्योंकि उनके खातों में सरकार ने पांच सौ रुपये डाल दिए हैं.

 

अब इन लोगों को पहले खाते में मौजूद बैलेंस बताना है, फिर उनका विथड्रॉल स्लिप भरवाना है और उसके बाद पेमेंट भी करना है. इसके लिए हर शाखा में कम से कम चार लोग ग्राहकों से सीधे संपर्क में आते हैं. जो भी ग्राहक शाखा में रहा है उसके बारे में किसी को पता नहीं है कि वह संक्रमित है या नहीं. लेकिन हर तरह का खतरा उठाते हुए भी बैंककर्मी लगातार अपने कार्य में लगे हुए हैं. हाँ यहाँ यह भी स्पष्ट करना जरुरी है कि बैंककर्मियों का यह कार्य है और उनको भी पुलिस और डॉक्टर्स की तरह अपने कर्तव्य निभाने हैं.

 

सोशल डिस्टेंसिंग भी बैंक कर्मियों को ही मेन्टेन करवानी है क्योंकि हर जगह जिला प्रशासन यह चेतावनी भी बैंकों को दे रहा है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं लागू की गई तो बैंक कर्मी ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे. अब तो इतने पुलिसकर्मी उपलब्ध हैं जो बैंकों के पास हर समय खड़े रहें, तो जाहिर सी बात यह है कि लाइन लगवाने से लेकर डिस्टेंस मेन्टेन करवाने का काम भी बैंक वालों को ही करना पड़ रहा है.

 

देश की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है और ऐसे में यही बैंक कर्मी तमाम तरह की नयी योजनाओं के द्वारा लोगों के आर्थिक उद्धार का काम करेंगे. अब ऐसे में बैंक कर्मचारीयों का काम काफी प्रशंसनीय है.

 

"कोरोना से डरे नहीं, S.M.S. से उसका सामना करें!"

  1. 1. S – Social Distancing
  2. 2. M – Mask
  3. 3. S – Sanitizer 

 

अंत में, मैं सभी बैंक कर्मियों को उनके अच्छे स्वास्थ्य के शुभकामनाएँ करता हूँ एवम उनके अच्छे बैंकिंग कार्य के लिए हार्दिक साधुवाद देता हूँ

 

सादर धन्यवाद

 

भवदीय 

 

व्ही. रेंगन

मुख्य प्रबंधक,  

स्थान : भोपाल 

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Sample Questionnaires for Faculty

Questionnaire for Faculty member Post : 

 

 

  1. 1. Why would you want to be faculty?

Ans : "I want to become a Faculty to contribute my meaningful experiences to develop the positive impact on the minds of the field staffs. I would be grateful to contribute to the participants of the prioritises , practices and policies of the institution for the fruitful field performance. I think that I have the skill to deliver the thing in easy manner to others which attracts me as Faculty.

 

  1. 2. What value addition can you bring as a faculty ?

Ans: “ I want to add the problem solving approach, skilled behaviour, technical upgradation in staff and continuous improvement skill initiative in proactive manner.”

  1. 3. Describe the role of Learning and Development in augmentations of business of Bank?

Ans : The Learning and Development can make enable to the working staff with more flexibility, active participation, an environment conducive to learning, networking and interaction for effective strategies and solving the Practical implications. The  principles of augmentation to employee training, the insight into possible strategies for improving the quality of employees for their better performances.

 

  1. 4. If you had to identify training needs of our bank where would you start?

Ans: I would like to start the identification of training needs by  Identifying The Knowledge, Skills, And Abilities Needed To Meet Your Objectives through collecting the information by :

  • Using questionnaires or surveys
  • Observing employees and examining their work
  • Conducting formal assessment
  1. 5. Can you describe 3 employee training method that will work for our bank ?

Ans : These are the 3 employees training method which will work for our bank.

  • Technical skills development through practical batches method
  • Soft skills development through class room training method 
  • Products and services training through pictorial PPT/videos methods
  1. 6. Please walk us through the process of preparing training curriculum and developing contents accordingly? 

Ans : for creating plandevelop, implement, and evaluate a successful Training curriculum we can do the preparation of short/bullet notes of policies, SOP for products, pictorial ppt, recorded videos session with expert faculties, articles, Questionnaires, FAQ on topics. These preparation will de make effective the Learning system.

 

  1. 7. How would you handle an employee who doesn’t think your training session is necessary.

Ans :  Firstly, to encourage the employee to accept the training with his “NICE” analysis i.e. Need, interest, concern & Expectation. Reasonable efforts should be taken to encourage employees to engage with the training they need, but only up to a point which will surely connect with the employee who doesn’t think the training session is necessary.

 

Thanks.

By Vijay Banka

 
 
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प्रमोशन पर सफलता की हार्दिक बधाइयाँ---CRGB---

 प्रिय साथियों , आज का दिन काफ़ी खुशियों भरा रहा , क्योंकि आज छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के साथियों का प्रमोशन का फ़ाइनल रिज़ल्ट निकला जिसमें बहुत सारे साथ ही शानदार तरीक़े से सफल हुए हैं . उन सभी साथियों को हमारी ओर से ढेर सारी हार्दिक बधाई और नए पद के लिए बहुत सारी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं . कुछ साथियों ने अपना संदेश भेजा है तो मैं उन साथियों के संदेश को यहाँ पर अंकित कर रहा हूँ , ताकि आप भी मोटिवेट हो सकें और उन साथियों को उनके सफलता पर बधाई दे सकें

 

"Sir CRGB OA TO SCALE 1 result declared I also select fully credit goes to u sir ur video motivational speech every time motivated me."

Thanku so much sir

 

Preeti Hardiya, Raipur

 

 

"Thank u so much Respected Sir

I have promoted to Officer scale 1 in CRGB.

Thank u for your valuable guidance"

 

Vivek Chaturvedi, Raipur

 

 

"Respected sir,

With your guidance i am promoted scale 1 to scale 2 in chhattisgarh rajya gramin bank.Thank you very much for your guidance"

 

Rahul Khandewal

 

"सर आपके मार्गदर्शन से आज मेरा अधिकारी वर्ग-1 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में प्रमोशन हो गया है।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद"

 

- S.Naryan Porte, Chhattisgarh

 

"Sir I got promoted scale2..thanks for support nd guidance sir"

 

- Nikita, Chhattisgarh

 

Good morning sir????

Sir मेरा प्रोमोशन CRGB में 0 to 1 में हुआ है । ये सफलता मुझे आपके मार्गदर्शन के द्वारा ही प्राप्त हुई है जिसके लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूं ????????????????

-Abhay Toppo, Raipur

 

"Namaste Sir 

Got promoted to officer scale  1  Thank you so much for your valuable guidance which boosted our moral and those mock tests and telegram quiz sessions were really very helpful. 

Again thanks a lot sir  gratitudes 

 

Abhishek Mishra, Raipur

 

 

"THANK YOU SIR"

 

आपके मार्गदर्शन से मुझे अधिकारी वर्ग 1 से 2 में पदोन्नति प्राप्त हुई

 

सहृदय धन्यवाद।

 

- सुदीप कुमार सिन्हा

 

"Sir mera promotion ho gya hai

Thanks for your guidance sir"

 

- Manoj Agrawal

 

"GOT PROMOTED TO SCALE I WITH YOUR VALUABLE GUIDANCE (CHHATTISGARH RAJYA GRAMIN BANK)

 

THANK A LOT SIR"

 

-Rahul Sharma

 
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What is Positive Pay Mechanism ? क्या है पॉजिटिव पे सिस्टम ?

 Positive Pay System For Cheque: 

देश में चेक के लिए नया पॉजिटिव पे सिस्टम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सितंबर में पेश किया था, जिसे 1 जनवरी 2021 को लागू किया गया, इस सिस्टम से देश में चेक आधारित ट्रांजैक्शन की सुरक्षा बढ़ने वाली है. पॉजिटिव पे सिस्टम एक आटोमेटेड फ्रॉड डिटेक्शन टूल है. आरबीआई द्वारा इस सिस्टम से फर्जी चेक के जरिए होने वाले फ्रॉड को कम किया जा सकेगा.

 

क्या है पॉजिटिव पे सिस्टम ?

पॉजिटिव पे सिस्टम एक प्रकार से फ्रॉड को पकड़ने वाला टूल है. इस सिस्टम के तहत कोई भी जब चेक जारी करेगा तो उसे अपने बैंक को पूरी डिटेल देनी होगी. इसमें चेक जारी करने वाले को SMS, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम या मोबाइल बैंकिंग के जरिए इलेक्ट्रॉनिकली चेक की डेट, बेनेफिशियरी का नाम, अकाउंट नंबर, कुल अमाउंट और अन्य जरूरी जानकारी बैंक को देनी होगी. इस सिस्टम से चेक से पेमेंट जहां सुरक्षित होगा, वहीं क्लियरेंस में भी कम समय लगेगा.

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन आफ इंडिया (NPCI) चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) में पॉजिटिव पे फैसिलिटी डेवलप किया है. यह सिस्टम Rs.50000/- या इससे बड़े अमाउंट के चेक के जरिए पेमेंट पर लागू होगा. चेक ट्रंकेशन सिस्टम चेक को क्लीयर करने की एक प्रक्रिया है. इसमें जारी किए गए फिजिकल चेक को एक जगह से दूसरी जगह घूमना नहीं पड़ता है. चेक ट्रंकेशन सिस्टम चेक के कलेक्शन की प्रक्रिया को तेज बना देता है.

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